गुप्त गोदावरी

गुप्त गोदावरी


 यह , चित्रकूट - रामघाट से दक्षिण की ओर सतना जिला के राजमार्ग पर 22 कि.मी. पर स्थित है । यहाँ आने के लिए बस और टैक्सी सुलभ है ।
 यहाँ प्राकृतिक रूप से पर्वत श्रेणी पर दो गुफाएं निर्मित है । इन गुफाओं में प्रवेश करने पर इनकी मनोहर छटा दृष्टिगोचर होती है । पाषाण प्रस्तरों पर नयनाभिराम कलात्मक रूप में प्रकृति द्वारा उत्कीर्ण त बेल बूटियों की शोभा दर्शनीय है । पौराणिक विवरण है कि श्री राम के निवास के लिये देवताओ ने इसे पहले से ही निर्मित कर रखा था ।
 गोस्वामी तुलसीदासजी के अनुसार -
प्रथमहि देवतः गिरि गुहा , राखिऊ रूचिर बनाय । 
 राम कृपानिधि कछुक दिन , वास करैगे आय  ।। 

इन सुंदर गुफाओं के विषय में वाल्मीकिजी का कथन है -
पूजित चोपन्नृत्तच नित्यमप्स सरसा गणैः तद् ब्रह्मभवन पूख्य बह्म घोष निनादितम

उस मनोहर रमणीक स्थान पर अप्सराए नित्य पति आकर नृत्य करती थी । यह स्थान बहाभवन तुल्य मनोहर एवं सुदर था एव अहनिश ब्रम्हघोष से निनादित रहता था । इस प्रसंग का रामचरितमानस में विवरण है-
 सुरसरि सरसइ दिनकर कन्दा । 
मेकल सुता गोदावरि धन्या ।। 

श्री राम भगवान का स्पर्श प्राप्त कर गोदावरी कृतकृत्य हो गई । यहाँ पर ऊपर की ओर स्थित गुफा मे देवो , ऋषियों के मूर्ति विग्रह हैं तथा नीचे की ओर गुफा मे अविरल जल धारा प्रवाहित होती रहती है ।
 ऐसा पौराणिक और जनश्रुति विवरण है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के सेवार्थ गोदावरी की गुप्त जलधारा पवाहित हुई थी । यह जलधारा वर्तमानकाल में भी गुफा के भीतर प्रवाहित है । 
इसके दर्शनार्थ पर्यटक एवं श्रद्धालु तीर्थ यात्री पानी से निकल कर गुफा के अंदर प्रवेश करते हैं । यह गुफाए घोर तमावृत्त अर्थात अधेरी रहती थी । 
इसके निदाराणार्थ मध्य प्रदेश शासन ने यहाँ उत्तम प्रकार की विद्युत व्यवस्था कर दी है । यहाँ पर यात्रियों के लिये रात्रि विश्राम सहित भोजन सुविधा भी उपलब्ध है ।

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