सुतीक्ष्ण आश्रम चित्रकूट
सुतीक्ष्ण आश्रम चित्रकूट :
आज हम लोग जानेंगे एक ऐसे आश्रम के बारे जो अतयंत प्राचीन है और धर्मिक है।
भगवान् राम का जब १४ वर्षो का वनवास होता है ,
उसी वनवास काल में जब भगवान का चित्रकूट का आगमन होता है।
तब भगवान् ने चित्रकूट में ११ वर्षो तक रहे।, तत्पश्चात वो जब आगे की ओर बढ़ते है ,
तब उनकी मुलाकात महर्षि सरभंग मुनि से होती है ,जो उसके दर्शन के लिए ही जीवित रहते है ,
उनके दर्शन के पश्चात् महर्षि सरभंग मुनि ने उन्हें मुनि अगस्त्य के शिष्य महर्षि सुतीक्ष्ण मुनि के बारे में बताया था। और जब उन्हें ये पता चलता है की भगवान् उनसे मिलने आ रहे है ,
तब उनकी ख़ुशी का आपार नहीं रहा। तो तब मुनि ने धीरज धारण करके भगवान को स्थान दिया तत्पश्चात उनके चरणों को बार बार स्पर्श करते रहे , तत्पश्चात भगवान् की आरती की ,
अतः उसके बाद भगवान् ने उनको बहुत ही प्रसन्न मन से मुनि को ह्रदय से लगा लेते है।
इस आश्रम में जाने से मन शांति तथा आत्मा को बड़ी शांति मिलती है। यह आश्रम चित्रकूट से 65km. की दुरी पैर स्थित है जो अत्यंत सुंदर है।
जय चित्रकूट धाम


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